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Khamoshi Shayari
ये ही एक फर्क है तेरे और मेरे
शहर की बारिश में, तेरे यहाँ ‘जाम’
लगता है, मेरे यहाँ ‘जाम’ लगते हैं।
न जाने क्यू अभी आपकी याद आ गयी,
मौसम क्या बदला बरसात भी आ गयी,
मैंने छुकर देखा बूंदों को तो, हर बूंद में
आपकी तस्वीर नज़र आ गयी ।
आशिक तो आँखों की बात समझ लेते हैं,
सपनो में मिल जाये तो मुलाकात समझ लेते हैं,
रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए,
पर लोग उसे बरसात समझ लेते हैं।
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे,
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं।
कुछ नशा तेरी बात का है
कुछ नशा धीमी बरसात का है
हमे तुम यूँही पागल मत समझो
यह दिल पर असर पहली मुलाकात का है
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खामोशी शायरी
क्या तमाशा लगा रखा है,
तूने ए-बारिश बरसना ही है , तो जम के बरस.
वैसे भी इतनी रिमझिम तो मेरी आँखो से रोज हुआ करती है.
बारिश के पानी को अपने हाथों में समेट लो,
जितना आप समेट पाये उतना आप हमें चाहते है,
और जितना न समेट पाए उतना हम आप को चाहते है…
बनके सावन कहीं वो बरसते रहे इक घटा
के लिए हम तरसते रहेआस्तीनों के साये
में पाला जिन्हें,साँप बनकर वही रोज डसते रहे!
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इस बरसात में हम भीग जायेंगे,
दिल में तमन्ना के फूल खिल जायेंगे,
अगर दिल करे मिलने को तो याद
करना बरसात बनकर बरस जायेंगे..
मोहब्बत तो वो बारिश है जिससे
छूने की चाहत मैं ! हथेलियां तो गीली
हो जाती है पर हाथ खाली ही रह जाते है !!
Khamoshi Par Shayari
आज बादल काले घने हैं
आज चाँद पे लाखों पहरे हैं
कुछ टुकड़े तुम्हारी यादों के
बड़ी देर से दिल में ठहरे हैं
कल रात मैंने सारे ग़म आसमान को सुना दिए
आज मैं चुप हूँ और आसमान बरस रहा है
ख़ुद को इतना भी न बचाया कर
बारिश हुआ करे तो भीग जाया कर
जब भी होगी पहली बारिश तुमको सामने पाएँगे
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पाएँगे
इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने की
तुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल
वरना शौक तो आज भी है बारिश में भीगने का
खामोशी पर शायरी
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी.
सावन के मस्त मौसम की,
रंगीन फुहार बरसती है,
तुम हो दूर मेरे परदेशी,
तुम्हे पाने को हसरत तरसती है।
सावन के महीने में भीगे थे हम साथ में
अब बिन मौसम भीग रहे है तेरी याद में
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है
ना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है
ना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है
सुनो सावन चल रहा है
इजाजत हो तो
भोले से मांग लू तुमको अगले जन्म के लिए
Khamoshi Shayari in Hindi
मौसम-ए-इश्क़ है तू एक कहानी बन के आ
मेरे रूह को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ
बारिश से ज़्यादा तासीर है तेरी यादों मे
हम अक्सर बंद कमरे मे भी भीग जाते हैं
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं
जब भी होगी पहली बारिश, तुमको सामने पायेंगे
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पायेंगे
ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें
इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये
कहीं फिसल न जाऊं तेरे खयालों में चलते चलते
अपनी यादों को रोको मेरे शेहेर में बारिश हो रही है
Khamoshi Status in Hindi
हम भीगते है जिस तरह से तेरी यादों में डूब कर
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे खयालों जैसी
ज़रा ठेहरो के बारिश है ये थम जाए तो फिर जाना
किसी का तुझको छु लेना मुझे अच्छा नहीं लगता
बारिश की बूँदों में झलकती है तस्वीर उनकी और
हम उनसे मिलने की चाहत में भीग जाते है
अबके बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था
अपनी कच्ची बस्तियों को बे-निशाँ होना ही था
बरस रही थी बारिश बाहर और
वो भीग रहे थे मुझ में
पूछते थे ना कितना प्यार है हमें तुम से
लो अब गिन लो ये बूँदें बारिश की
कोई तो बारिश ऐसी हो जो तेरे साथ बरसे
तन्हा तो मेरी ऑंखें हर रोज़ बरसाती है
मेरी खामोशी शायरी
अजब लुत्फ़ का मंज़र देखता रेहता हूँ बारिश में
बदन जलता है और मैं भीगता रेहता हूँ बारिश में
सुनो महसूस करो बादल की गरज
बिजली की चमक
बारिश की एक एक बूँद
तुमसे चीख चीख कर कह रही है???
आज तो नहा लो
आसमान में काली घटा छाई है
आज फिर बीवी ने दो बातें सुनाई हैं
दिल तो करता है सुधर जाऊं मगर
बाजूवाली आज फिर भीग कर आयी है
जब जब घिरे बादल तेरी याद आयी
जब झूम के बरसा सावन तेरी याद आयी
जब जब मैं भीगा मुझे तेरी याद आयी
मेरे भाई तू ने मेरी छतरी क्यों नहीं लौटायी
क्या मस्त मौसम आया है
हर तरफ पानी ही पानी लाया है
तुम घर से बाहर मत निकलना
वरना लोग कहेंगे बरसात हुई नहीं
और मेढक निकल आया है
तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम
आज के बाद
क्योंकि किचड़ हो गया है
बरसात के बाद
Shayari on Khamoshi
Baarish Aur Mohabbat Dono Hi
Yaadgar Hote Hai,
Baarish Main Jism Bheegta Hai
Aur Mohabbat Main Aankhen
Barish Tere Bin Bhi Hoti Hai
Mere Shehar Main
Magar Unme Sirf Paani
Barasta Hai Ishq Nahi.
Rehne Do Ki Ab Tum Bhi
Mujhe Padh Na Sakoge,
Barsat Mein Kagaj Ki Tarah
Bheeg Gaya Hoon Mainof my hair
Khoob Hausla Badhaya
Aandhiyon Ne Dhool Ka
Magar Do Boond Barish Ne
Aukaat Bata Di
Koi Rang Nahi Hota
Barish Ke Paani Mein..
Phir Bhi Fhiza Ko,
Rangin Bana Deta Hai.
Tumhari Khamoshi Shayari
बे मौसम बरसात से अंदाज़ा लगता हूँ मैं
फिर किसी मासूम का दिल टुटा है मौसम-ए-बहार में
मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं
खुद भी रोता है मुझे भी रुला देता है
ये बारिश का मौसम उसकी याद दिला देता है
तपिश और बढ़ गई इन चंद बूंदों के बाद
काले सियाह बादलो ने भी बस यूँ ही बहलाया मुझे
हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती है
कभी बादल बरसते है कभी आँखें बरसती है
Stop worrying with your curly hair while styling rather let the soft breeze flow on it to take care of it.
तेरी खामोशी शायरी
तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे,
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं।
वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।
बरस जाये यहाँ भी कुछ नूर की बारिशें,
के ईमान के शीशों पे बड़ी गर्द जमी है,
उस तस्वीर को भी कर दे ताज़ा,
जिनकी याद हमारे दिल में धुंधली सी पड़ी है।
एक तो ये रात, उफ़ ये बरसात,
इक तो साथ नही तेरा, उफ़ ये दर्द बेहिसाब
कितनी अजीब सी है बात,
मेरे ही बस में नही मेरे ये हालात।
बारिश में चलने से एक बात याद आती है,
फिसलने के डर से वो मेरा हाथ थाम लेता था।
कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना,
मौसम बारिस का भी है और मोहब्बत का भी।
पूछते थे ना कितना प्यार है तुम्हे हमसे,
लो अब गिन लो... बारिश की ये बूँदें।
मत पूछो कितनी मोहब्बत है मुझे उनसे,
बारिश की बूंद भी अगर उन्हें छू जाती है,
तो दिल में आग लग जाती है।
खुद को इतना भी ना बचाया करो,
बारिशे हुआ करे तो भीग जाया करो।
Khamoshi Wali Shayari
मुझे ऐसा ही ज़िन्दगी का एक पल चाहिए,
प्यार से भरी बारिश और संग तू चाहिए।
एक हम हैं जो इश्क़ कि बारिश करते है,
एक वह हैं जो भीगने को तैयार ही नहीं।
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है
सुना है बाजार में गिर गए हैं दाम सारे इत्र के
बारिश की पहली बूंदों ने आज मिटटी को छुआ है
एक ख्वाहिश हैं मेरी
लम्बी सड़क हल्की सी बारिश
बहुत सारी बातें और बस मैं और तुम