Aap Shiv Chalisa PDF khoj rahe hain kya? Aapki khoj yahan khatm hoti hai.
शिव चालीसा हिंदू धर्म का एक भक्तिमय स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है, जो हिंदू धर्म में सर्वाधिक पूज्य देवताओं में से एक है। इसमें चालीस श्लोक होते हैं, प्रत्येक श्लोक में भगवान शिव की गुणवत्ता, गुण, और कर्मों का वर्णन किया जाता है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम शिव चालीसा का महत्त्व और भगवान शिव की पूजा के लिए Shiv Chalisa PDF का उपयोग करने के तरीके को जानेंगे।
इसके साथ ही आपको Shiv Chalisa PDF भी डाउनलोड करने के लिए मिलेगा।
शिव चालीसा चौपाई (श्लोक) का एक संग्रह है जो शिव भक्तों और अनुयायियों द्वारा रोजाना या महा शिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर पढ़ा जाता है। भगवान शिव के भक्तों द्वारा इसे उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए पढ़ा जाता है।
शिव चालीसा की पाठ करने से भगवान शिव की कृपा और संरक्षण की शक्ति प्राप्ति करने का एक शक्तिशाली तरीका माना जाता है।
यह मन को शुद्ध करने, चेतना को उच्च करने, आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास लाने में मददगार होने का कहा जाता है। कई लोग इसे मुश्किलों को पार करने, अपनी इच्छाओं को पूरा करने और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी पढ़ते हैं।
शिव चालीसा भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा का एक सुंदर अभिव्यक्ति है, और यह दुनिया भर के असंख्य भक्तों को प्रेरित और उन्नत करता है
Using the Shiv Chalisa PDF for Worshiping Lord Shiva
Shiv Chalisa PDF एक भजन का डिजिटल संस्करण है जो कि विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर आसानी से डाउनलोड और एक्सेस किया जा सकता है।
यह भक्तों के लिए एक सुविधाजनक और पहुंचयोग्य तरीका है जिससे वे घर, मंदिर या कहीं भी भजन को पढ़ सकते हैं।
Shri Shiv Chalisa in Hindi | श्री शिव चालीसा
दोहा / Doha
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
चौपाई – 1
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
चौपाई – 2
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देखि नाग मन मोहे॥
चौपाई – 3
मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
चौपाई – 4
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
चौपाई – 5
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
चौपाई – 6
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
चौपाई – 7
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
चौपाई – 8
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
चौपाई – 9
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।
जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
चौपाई – 10
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
चौपाई – 11
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
चौपाई – 12
जय जय जय अनन्त अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
चौपाई – 13
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट ते मोहि आन उबारो॥
चौपाई – 14
मात-पिता भ्राता सब होई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु मम संकट भारी॥
चौपाई – 15
धन निर्धन को देत सदा हीं।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
चौपाई – 16
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
शारद नारद शीश नवावैं॥
चौपाई – 17
नमो नमो जय नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पर होत है शम्भु सहाई॥
चौपाई – 18
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
चौपाई – 19
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।
तन नहीं ताके रहै कलेशा॥
चौपाई – 20
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
॥दोहा – 1॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा – 2॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश॥
॥दोहा – 3॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण॥
श्री शिव जी की आरती PDF / Shiv Ji Ki Aarti
ॐ जय शिव ओमकारा, स्वामी जय शिव ओमकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओमकारा॥
शिव चालीसा का जाप कैसे करें?
भगवान शिव की पूजा के लिए Shiv Chalisa PDF का उपयोग करने के लिए, निम्नलिखित सरल चरणों का पालन करें:
- एक शांत और शांतिपूर्ण स्थान ढूंढें जहां आप बिना विघटन के भजन पढ़ सकते हैं।
- एक दीपक या मोमबत्ती जलाएं और भगवान शिव को फूल, फल या अन्य अर्पण दें।
- भाव और ध्यान के साथ Shiv Chalisa का पाठ शुरू करें, या तो मौन रूप से या बोलकर।
- चाहे जितनी देर तक ही भजन का पाठ जारी रखें, प्रत्येक छंद के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करें और भगवान शिव पर ध्यान धरें।
- जब आप भजन पढ़ना समाप्त कर लें, भगवान शिव के लिए आपके कृतज्ञता व्यक्त करें और अपने आप और अपने प्रियजनों के लिए उनका आशीर्वाद मांगें।
निष्कर्ष
समापन में, Shiv Chalisa भगवान शिव से जुड़ने और उनके दिव्य अनुग्रह की तलाश में भक्तों की मदद करने वाला एक शक्तिशाली भजन है। Shiv Chalisa PDF का उपयोग करके भगवान शिव की पूजा करने वाले भक्तों को कभी भी और कहीं भी भजन का पाठ करने की सुविधा मिलती है, जिससे वे भजन के लाभ, शांति और समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं।